• January to March 2024 Article ID: NSS8500 Impact Factor:7.60 Cite Score:208917 Download: 645 DOI: https://doi.org/ View PDf

    बनारस घराने में टप्पा गायन

      डॉ. निलांभ राव नलवडे
        संगीत शिक्षक, केन्द्रीय विद्यालय, दापोरिजो (अरूणाचल प्रदेश)

प्रस्तावना-  टप्पा मूलतः पंजाब में ऊँट चराने वालों के द्वारा गायी जाने वाली लोक शैली थी, जिसने बाद में आकर्षक शैली हो जाने के कारण संगीत में अपना स्थान बना लिया है। ‘‘टप्पा से मतलब मैदानी जमीन से है, ऊँटहार जब अपने गाँवों से ऊँटों पर सामान लादकर शहर में आते व वापसी में एक बोल बनाकर वापस अपने घरों में जाते, उसी समय रास्ता यानि टप्पा, दो टप्पा, चार टप्पा, सुनसानी मैदानी रास्ते को काटने के लिए अपनी पंजाबी जुबान में गाते चले जाते थे। इसी गाने का नाम टप्पा पड़ गया।