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January to March 2024 Article ID: NSS8505 Impact Factor:7.60 Cite Score:58684 Download: 341 DOI: https://doi.org/57 View PDf
कृषि भूमि उपयोग में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधुनिक विधियां कि आवश्यकता बड़वानी जिले के संदर्भ में
रमेश पवार
शोधार्थी (भूगोल) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)डाॅ. मोहन निमोले
शासकीय माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
शोध सारांश- प्रस्तुत शोध पत्र में
बड़वानी जिले में शस्य संयोजन एवं कृषि भूमि में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधंनिक
विधियां से वर्षा जल को सग्रहित कर उसे विभिन्न आवश्यकताऔं में उसका उपयोग किया जाना
एवं कृषि भूमि उपयोग मे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने एवं जनसंख्या विस्फोट
से भूखमरी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता
है। उसके लिए वर्षा जल को अधिक समय तक सग्रहण कर उसे भूमि के लिए सिंचाई के उपयोग में
लाने के लिए वर्षा जल को विभिन्न विधिया जैसे- तालब, बावड़ी, कुओं, क्यारी, रिसाव तालाब,
एनिकट, कुई या बेरी, जल संरक्षण तालाब आदि के द्वारा वर्षा जल का संरक्षण किया जाना
अध्ययन क्षेत्र मे इसका महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके साथ ही जल ही जीवन है। यह सभी जीवों
के लिए आवश्यक है।
शब्द कुंजी-बड़वानी जिला, कृषि भूमि
उपयोग, जल संरक्षण, जल संरक्षण की विधियां।














