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January to March 2024 Article ID: NSS8559 Impact Factor:7.60 Cite Score:75487 Download: 387 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारत में महिलाओं के विरूद्ध अपराध एक साॅख्यकीय अध्ययन
विनोद कुमार तिवारी
सहायक प्राध्यापक, एम.बी.खालसा लाॅ कालेज, इंदौर (म.प्र.)
शोध सारांश- प्रत्येक मनुष्य स्वतंत्रता की कामना करता है, किंतु जन्म
से जीवन के प्रत्येक पग पर परिस्थितियाॅ उसकी स्वतंत्रता में व्यवधान उत्पन्न करती
है। अपनी परतंत्रता का ज्ञान होने पर वह स्वतंत्र रूप से जीवन यापन का अधिकार चाहता
है। पुरूष की तुलना में महिलाओं परतंत्रता ज्यादा, स्वतंत्रता कम होती है। जबकि परिवार
की खुशहाली एवं शांति हेतु महिला की स्वतंत्रता ज्यादा महत्व रखती है क्योंकि ‘‘यदि
महिला खुश तो घर खुशहाल‘‘होता है। अतः नारी के बहुमुखी
विकास के लिए उसे पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार मिलना अत्यंत आवश्यक है।
भारतीय समाज में महिलाएं एक लम्बे समय से अवमानना, यातना और शोषण का शिकार रही है, समाज की प्रथाओं, रीतिरिवाजों ने महिलाओं के उत्पीडन को ओर बढाया है, जिसका मुख्य कारण भारतीय समाज में पुरूषों की प्रधानता है। समाज में महिलाओं के उत्पीडन महिलाओं के प्रति अपराधों को रोकने के लिए भारत में बनाये गये कानूनों, महिला शिक्षा व्यवस्था एवं महिलाओं की आर्थिक प्रगति के उन्नयन हेतु बनायी गई योजनाओं के बाबजुद भी, महिलाओं से छेडछाड, बलात्कार, यौनशोषण उत्पीडन, दहेज, घरेलु हिंसा आदि अपराध आज भी हो रहे है तथा आकडे बताते है इनका ग्राफ बढ रहा हैै। मानव संसाधन मंत्रालय के महिला एवं बालविकास विभाग के एक प्रतिवेदन के अनुसार भारत में प्रत्येक 54 मिनिट में एक महिला का बलात्कार, 51 मिनिट में छेडछाड, 16 मिनिट में बदसलूकी तथा 101 मिनिट में दहेज के कारण हत्या होती है। इस शोध पत्र के माध्यम से महिलाओं के प्रति घरेलु हिंसा एवं अपराधों का अध्ययन किया गया है।
शब्द
कुंजी-अपराध, हिंसा, उत्पीडन, दहेज, कनूनी संरक्षण।
