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January to March 2024 Article ID: NSS8570 Impact Factor:7.60 Cite Score:116341 Download: 481 DOI: https://doi.org/ View PDf
गोविंद शर्मा की लघुबाल कथा ‘मटकू बोलता है’ में सामाजिक मूल्य
मेघा बंसल
शोधार्थी (हिंदी) महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर(राज.)डॉ. नवज्योत भनोत
प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (हिंदी) डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय, श्रीगंगानगर (राज.)
शोध सारांश- इस लघु बाल कथा के माध्यम से बालकों में
सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पोषण किया गया है। बच्चों के व्यक्तित्व एवं सामाजिक
विकास का बचपन से ही ध्यान रखा जाए तो बच्चों का चौमुखी विकास संभव है।
"नैतिक कम्पास एक शब्द है जिसका उपयोग हमारे सही और गलत की आंतरिक भावना का
वर्णन करने के लिए किया जाता है जो हमारे कार्यों को निर्देशित करने के लिए एक
रूपरेखा प्रदान करता है। विवेक एक व्यक्ति की आंतरिक नैतिक भावना है जो उसे अपने
व्यवहार को विनियमित करने के लिए मार्गदर्शन करती है। अंतरात्मा की आवाज आंतरिक
आवाज से मेल खाती है जो आपके व्यवहार का न्याय करती है। अंतरात्मा की आवाज कई
लोगों के लिए नैतिक निर्णय लेने का स्रोत है।"
आज
के नौनिहाल कल के नागरिक हैं जो एक सभ्य समाज का निर्माण कर राष्ट्र को
प्रगति के पथ पर ले जाते हैं। प्रतीकात्मक शैली में लिखी गई इस कथा में मटकू
अर्थात एक छोटे मटके का मानवीकरण किया गया है। कथा में मटकू को मुख पात्र बनाकर
उनमें नैतिकता और मानवता भरी सामाजिक चेतना का संचार किया गया है।
शब्द कुंजी-अंतरात्मा ,इंसानियत, सेवा भावना, समाज सेवा,
प्याऊ, सार्वजनिक सफाई, मानवता, अधिकार, कर्तव्य, संवेदनशीलता।
