
-
January to March 2024 Article ID: NSS8627 Impact Factor:7.67 Cite Score:56992 Download: 336 DOI: https://doi.org/ View PDf
डूँगरपुर जिले में जनजातियों की आधारभूत सुविधा सूचकांक स्तर (1981 से 2010) (एक भौगोलिक अध्ययन भू.अ.नि.वृ. के आधार पर)
डॉ. गोविन्द लाल सरगड़ा
भूगोल विभाग, गुरूकुल महाविद्यालय, सागवाड़ा, डूँगरपुर (राज.)
शोध सारांश- जो नैसर्गिक जीवन जीते हैं। अफ्रीका, दक्षिणी एशिया, भारत
और अन्य पिछड़े देशों में इनके लिए आदिवासी शब्द ही प्रयुक्त किया जाता है। इन जनजातियों
को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। वन्य जाति, वनीय जाति, वनवासी, वनों के आश्रय
में रहने वाले, पहाड़ी लोग, पहाड़ियों पर रहने वाले, आदिम जाति, प्रारम्भिक लोग, आदिवासी
तथा कई स्थानीय नामों से भी इन्हें जाना जाता रहा है। अति न्यूनतम स्तर के अन्तर्गत
7 भू-अभिलेख निरीक्षक वृत्त क्रमशः पाडवा, सरोदा, गैंजी, देवलखास, चिखली, आंतरी और
कुआँ पाये गये। यह स्तर अति न्यूनतम रहने का मुख्य कारण यहाँ पर जनजाति जनसंख्या का
बाहुल्य पाया जाना है इस कारण यहाँ के निवासी दूर-दराज क्षेत्रों तथा प्रकीर्णन बसाव
में रहने के कारण यहाँ पर आधारभूत सुविधाओं के विकास प्रभावी रूप से संभव नहीं हुआ
है।
शब्द कुंजी- वनवासी, वनीय जाति, जनजाति,
आधारभूत सुविधाऐं, बाहुल्य, प्रर्कीणन, भू-अभिलेख निरीक्षक वृत्त।














