• April to June 2024 Article ID: NSS8635 Impact Factor:8.05 Cite Score:148164 Download: 543 DOI: https://doi.org/ View PDf

    खादी और चरखा आर्थिक पहिए

      कमलेश कुमार नाथ
        एम ए, नेट (जेआरफ) (इतिहास) हरणी महादेव रोड नया समेलिया, भीलवाड़ा (राज.)

प्रस्तावना- गांधी जी 1915 ई. में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। गांधी जी के चिंतन में स्वदेशी की अवधारणा का व्यवहारिक स्वरूप खादी एवं कुटीर उद्योग के रूप में सामने आता है। स्वदेशी को गांधी ने चरखा एंव खादी के सन्दर्भ में विश्लेषित किया है। स्वदेशी का अर्थ है अपने देश से सम्बन्धित राजनीतिक धरातल पर राष्ट्रवाद। स्वदेशी के सम्बन्ध में गांधी जी व्यक्ति के जीवन को धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक धरातल पर बांधते हैं। स्वदेशी का सिद्धांत अत्यधिक राजनीतिक महत्व का है। भारत के स्वतंत्रता के आंदोलन में चरखे का आर्थिक पहिए के रूप में महत्व देखा जा सकता है।