• April to June 2024 Article ID: NSS8681 Impact Factor:8.05 Cite Score:32384 Download: 253 DOI: https://doi.org/ View PDf

    देवास जिले के विद्यालयों में अध्ययनरत् मधुमेह से ग्रसित विद्यार्थियों की सृजनात्मकता एवं उपलब्धि स्तर पर प्रभाव का विश्लेषणात्मक अध्ययन

      पियूषा आशापुरे
        शोधार्थी, महाराजा कॉलेज, उज्जैन एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
      डॉ. अनुराधा सुपेकर
        उप प्राचार्य, महाराजा कॉलेज, उज्जैन (म.प्र.)

प्रस्तावना-  मानव आदिकाल से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का प्राणी रहा हैं। जिज्ञासा के कारण ही अनेकोंनेक आविष्कारों का उद्भवन व कार्यान्वयन हुआ हैं और मानव सीखने की प्रवृत्ति की ओर बढ़ा हैं तथा शिक्षा प्राप्त करने को लालायित हुआ हैं। शिक्षा ज्ञान, उचित आचरण, तकनीकी दक्षता, विद्या आदि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कहा जाता हैं। शिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से अगली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास हैं। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती हैं जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती हैं। बच्चा समाज तथा शिक्षा से तभी जुड़ पाता हैं जब वह मानसिक, आत्मिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ् होता हैं। क्योंकि उत्तम स्वास्थ्य, स्वस्थ व्यक्तित्व की अधारशिला हैं। स्वस्थ व्यक्ति से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव हैं। व्यक्ति को अपने एवं परिवार के स्वास्थ्य के प्रति संचेतना शिक्षा से ही प्राप्त करता हैं।