-
July to September 2024
Article ID: NSS8706
Impact Factor:8.05
Cite Score:31877
Download: 251
DOI: https://doi.org/
View PDf
बाल श्रम समस्या एवं समाधान: भारतीय परिपेक्ष्य में
डॉ. विभा शर्मा
सहायक आचार्य (राजनीति विज्ञान) एस.आर.के. राज. स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, राजसमन्द (राज.)
प्रस्तावना- बालक समाजरूपी बगिया के खिलते हुए पुष्प एवं राष्ट्र की
बहुमूल्य सम्पति है जिस समय में जीवन का निर्माण हो रहा होता है उस समय में बाल श्रमिक
के रूप में नियोजन उन बालकों के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण समाज एवं राष्ट्र के लिए
अपूरणीय क्षतिकारी होता है।
बाल श्रम के बारे में जब
भी हम कुछ सुनते है तो हमारे मन मस्तिष्क में साईकिल का पंचर बनाने वाला चाय की थडी
पर गिलास धोने वाले कूडा बीनने वाले की तस्वीर कौधती है। कल-कारखानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों,
अखबार और फेरी लगाने वाले एवं खनन उद्योग में काम कर रहे बच्चों को जिन्हें माता-पिता
द्वारा रूपयों के लिए गिरवी रखा हो या इन क्षेत्रों में वे मजदूरी या बिना मजदूरी के
काम कर रहे है को बाल श्रम की श्रेणी में माना गया है। भारतीय समाज जो एक कृषि प्रधान
समाज है जहां संताने माता पिता के साथ कृषि एवं घर-गृहस्थी के काम में हाथ बंटाते आए
है उसको भी कई गैर सरकारी वैश्विक संगठनों द्वारा बाल श्रम की श्रेणी में रख दिया जाता
है। बाल श्रम की समस्या समाधान एवं चुनौतियों
को जानने के लिए श्रम एवं बाल श्रम के इसी महीन अन्तर को जानना एवं समझना आवश्यक है।