• July to September 2024 Article ID: NSS8756 Impact Factor:8.05 Cite Score:83686 Download: 408 DOI: https://doi.org/ View PDf

    हजारी प्रसाद द्विवेदी: मानवीय एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण

      श्रीमती पूनम सिंह
        असिस्टेंट प्रोफेसर (हिन्दी) करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पी0जी0 कॉलेज, लखनऊ (उ.प्र.)

प्रस्तावना- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (1907-1979) मूलतः साहित्येतिहास के शोधकत्र्ता एवं आलोचक हैं। उन्होंने उपन्यास, ललित निबंध के साथ ही साथ सम्पादक का भी कार्य किया। आचार्य हजारी प्रसाद की आलोचक दृष्टि उत्कृष्ट कोटि की है। वे बहुआयामी प्रतिभा से सम्पन्न थे। आचार्य द्विवेदी के हिन्दी साहित्य के इतिहास से संबंधित पुस्तकें हैं।- ‘हिन्दी साहित्य की भूमिका, ‘हिन्दी साहित्य: उद्भव एवं विकासतथा ‘हिन्दी साहित्य का आदिकाल।हिन्दी साहित्य के इतिहास पर आचार्य शुक्ल के बाद यदि किसी अन्य विद्वान् की मान्यताओं को नतमस्तक होकर स्वीकार किया जाता है तो वे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ही हैं। उन्होंने अपनी शोध दृष्टि से सांस्कृतिक धरोहर को मूल्यवान चेतना प्रदान की। द्विवेदी भारतीय संस्कृति के पोषक हैं। उन्होंने शुक्ल जी की मान्यताओं का खण्डन किया है। शुक्ल जी ‘आदिकालको ‘वीरगाथा काल कहने के पक्ष में थे जबकि ‘आदिकालवीर काव्य के साथ धार्मिक एवं शृंगार के भी काव्य रचित थे। द्विवेदी जी अपनी शोधक दृष्टि से शुक्ल के ‘वीरगाथा काल कहने वाले ग्रन्थों पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया। शुक्ल जी भक्ति का उदय इस्लाम से मानते थे, द्विवेदी जी इसका भी खण्डन करते हैं।