• October to December 2024 Article ID: NSS8810 Impact Factor:8.05 Cite Score:21948 Download: 208 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारतीय ज्ञान परम्परा में ज्ञान और विज्ञान

      डॉ. शिवाकान्त तिवारी
        प्रभारी प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय, मोहन बड़ोदिया, शाजापुर (म.प्र.)

शोध सारांश- भारतीय ज्ञान परम्परा में प्राचीनकाल से ही स्व-कल्याण के साथ-साथ विश्व-कल्याण की भावना से कार्य किया जाता था। भारतीय वेद ज्ञान का अपार भण्डार हैं। भारतीय शिक्षा की गुरूकुल प्रणाली प्राचीनता के साथ उत्कृष्टता को भी अपने आप में समेटे हुए थी जिसमें विद्यार्थी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास का कार्य किया जाता था। नालन्दा जैसे विश्वविद्यालयों में हजारों विद्यार्थी और शिक्षक अध्ययन और अध्यापन के कार्य में संलग्न रहते थे। विद्यार्थी और शिक्षक का अनुपात उस समय के सभी विश्वविद्यालयों में उत्कृष्ट स्तर का था।

            प्राचीनकाल में भारतीय सैन्य विज्ञान काफी उन्नत अवस्था में था। युद्ध में अनेक प्रकार के हथियारों के साथ-साथ दिव्यास्त्रों का भी प्रयोग किया जाता था। कई हथियार वर्तमान युग के परमाणु बमों से भी घातक और विनाशक थे।  युद्ध में पूरी नैतिकता का पालन किया जाता था। खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारतीयों का अध्ययन उच्च स्तरीय और सटीक था। पृथ्वी की आकृति, सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण सम्बन्धी भारतीय गणनाऐं बिलकुल सटीक थीं। आर्यभट्ट, वाराहमिहिर जैसे विद्धानों के सिद्धान्त आज भी अचम्भित करते हैं। आचार्य चरक और सुश्रुत ने आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत को शीर्ष स्थान पर पहुँंचा दिया था। प्राचीन कालीन नाड़ी शोधन की क्रिया अद्धितीय थी। धातुकार्य में भारत ने ऐसी उत्कृष्टता प्राप्त कर ली थी जो आज भी लोगों को चकित करती है। महरोली का लौह स्तम्भ इसका जीता जागता प्रमाण है। लगभग सभी धातुओं का प्रयोग प्राचीन भारत में प्रचलन में था। गणित के क्षेत्र में भारत ने विश्व को शून्य और दशमलव प्रणाली देकर अध्ययन को एक नई दिशा दी। वैदिक गणित आज भी अधिक सटीक सिद्ध होता है। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में महर्षि कणाद जैसे विद्धानों ने 600 ईसा पूर्व ही परमाणु की खोज कर ली थी। रसायन शास्त्र के क्षेत्र में तत्कालीन कीमियागार रसायनों के नये-नये यौगिक बनाने में महारत हासिल कर चुके थे। प्राचीन भारत की ज्ञान विज्ञान की इस धरोहर को वर्तमान में सहेजने और नये-नये शोधों के माध्यम से और अधिक समृद्ध करने की आवश्यकता है।

शब्द कुंजी- ज्ञान परम्परा, गुरूकुल, आयुर्वेद, खगोल विज्ञान, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान, वैदिक काल।