• April to June 2024 Article ID: NSS8872 Impact Factor:8.05 Cite Score:14405 Download: 168 DOI: https://doi.org/ View PDf

    स्वामी विवेकानंद का समाजवादी दर्शन

      हरीश
        एम ए, नेट -जेआरफ (इतिहास) कोडुका पोस्ट रिछोली, ब्लॉक पाटोदी बालोतरा (राज.)

प्रस्तावना- स्वामी विवेकानद भारत के एक तेजस्वी सन्यासी थे स कलकत्ता में इनका जन्म हुआ था। बचपन से इन पर इनकी माता का प्रभाव था इन्होने रामायण, महाभारत आदि धार्मिक ग्रंथ लिखे थे। इन्होने भारतीय दर्शन के साथ साथ हीगल, स्टुअर्ट मिल को भी पढ़ा था। इनकी अध्यात्म में काफी रूचि थी स बचपन में स्वामी जी को नरेंद्र नाथ के नाम से जाना जाता था उन्होने खेतड़ी के महाराजा अजित सिंह के कहने पर अपना नाम विवेकानंद रख लिया। ये हिन्दू धर्म के वेदांत दर्शन से काफी प्रभावित थे जो स्वामी जी के चिंतन और व्यवहार का मुख्य आधार था। उनका चिंतन व्यवहारिक जीवन से जुड़ा हुआ था न कि केवल मानसिक जगत में विचरण करने वाला स्वामी जी केवल एक धार्मिक संत नहीं थे वह एक समाजवादी भी थे उन्होंने कहा था में समाजवादी हु।  उनका समाजवाद मार्क्स के समाजवाद के समान नहीं था वह समाजवाद के शोषणरहित समाज के समर्थक थे  स वह गरीबों और कमजोरों के प्रति सहानुभूति रखते थे उन्होंने ईश्वर के लिए दरिद्र नारायण शब्द का प्रयोग किया था उनका मानना था कि मानव कि सेवा ही सर्वश्रेस्ठ सेवा है अत व्यक्ति को मानव कि सेवा को सबसे ज्यादा महत्व देना चाहिए।