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October to December 2024 Article ID: NSS8891 Impact Factor:8.05 Cite Score:24296 Download: 219 DOI: https://doi.org/ View PDf
अष्टांग योग से आत्मनिष्ठ एवं मानसिक जगत का ज्ञान
डॉ. विनोद राय
सहायक प्राध्यापक (इतिहास) शासकीय महाविधालय, डोलरिया, जिला-नर्मदापुरम (म.प्र.)
प्रस्तावना- प्रत्येक विद्या की अपनी
एक प्रणाली है। यदि मनुष्य एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने की जिज्ञासा रखता है तो मात्र
अंतरिक्ष विज्ञान के वक्तव्य सुनने से वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक नहीं बन सकता। उसे अंतरिक्ष
विज्ञान का यथावत अध्ययन करना होगा और एक प्रयुक्त प्रणाली के माध्यम से उस विज्ञान
से सम्बधितं ज्ञान अर्जित करता होगा, तब कहीं जाकर वह एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने में
सक्षम होगा। प्रत्येक विद्या की अपनी एक प्रणाली है मात्र उपदेश को सुनने भर से सभी
परिणामों की प्राप्ति असंभव है जब तक कि उन उपदेशों को सुनकर उन्हें आत्मसात न किया
जाये और उनको व्यावहरिक जीवन में प्रारम्भ न किया जाये। प्रयोग के अभाव में परिणाम
अधूरे ही रहेंगें और दोष साधनों को दिया जायेगा और साध्य को, लक्ष्य को असंभव कहकर
छोड दिया जायेगा। जबकि कारण साधक और उसकी साधना प्रणाली का अधूरापन है।














