• April to June 2024 Article ID: NSS8911 Impact Factor:8.05 Cite Score:64035 Download: 357 DOI: https://doi.org/ View PDf

    मेवाड़ के गुहिल राजवंश का उत्पत्ति स्थल: इल्व दुर्ग ईडर

      डॉ. अजात शत्रुसिंह शिवरती
        आचार्य (इतिहास) पेसिफिक सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)
      सुरेन्द्र सिंह चैहान
        शोधार्थी (इतिहास) पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)

प्रस्तावना- भारत में प्रतिष्ठित क्षत्रिय जातियों की संख्या 36 मानी जाती है। इन 36 क्षत्रिय राजवंशो में 16 सूर्यवंशी, 16 चन्द्रवंशी और 4 अग्निवंशी राजवंश सम्मिलित थे। इनमें से कई राजवंश पौराणिक युग से लेकर वर्तमान तक अस्तित्व में बने रहे। तथापि कुछ राजवंशों का अस्तित्व समय के साथ समाप्त हो गया जबकि कुछ राजवंशो के लोग अलग-अलग स्थानों और समय परिवर्तन के साथ भाषा समूहों में परिवर्तित होते गये। कुमारपाल नामक काव्य से राजपूत के कुल 36 वंशो की सूची प्राप्त होती है। जिनमें उत्तर भारत में मेवाड़ के सिसोदिया वंश की 24 उपशांखाऐं, चैहानों की 24, परमारों की 35, झालावंश की 9 राठौड़ों की 13, सोलंकियों की 24 बड़गुजरों की 2 शाखा थी वही भाटियों की 7 और गौड़ों की कुल 8 शाखा अस्तित्व में रही है। उत्तरभारत में प्रचलित गुहिल टाँक, डाबी, कच्छावा, जोइया, दायमा, मोरी, वल्ला, खरवड़ ऐसी जातियाँ हैं, जिनकी कोई भी उपशाखा प्राप्त नहीं होती है।1