• January to March 2024 Article ID: NSS8917 Impact Factor:7.67 Cite Score:6704 Download: 114 DOI: https://doi.org/ View PDf

    औद्यागिक रूग्णता की समस्या का अध्ययन

      डॉ. प्रतिमा बनर्जी
        प्राध्यापक (वाणिज्य) शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सतना (म.प्र.)

प्रस्तावना- आधुनिक समय में सुदृढ़ औद्योगिक आधार देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिये आवश्यक है परन्तु विगत वर्षो में औद्योगिक रूग्णता की समस्या गम्भीर होती जा रही है। इस समस्या से न केवल औद्योगिक क्षेत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है वरन् सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। कारण यह है कि औद्योगिक रूग्णता से उत्पादन, आय, रोजगार, बैकिंग एवं बीमा कम्पनियाॅ आदि सभी पर खराब प्रभाव पड़ता है। यह समस्या भारतीय अर्थव्यवस्था में संगठित तथा असंगठित क्षेत्र में परिलक्षित हो रही है। कम्पनी (संशोधन) विधेयक 2002 के अनुसार किसी कम्पनी को रूग्ण औद्योगिक कम्पनी तब कहा जायेगा जब विगत लगातार चार वर्षो मे से किसी एक या अधिक वर्षो मे वित्तीय वर्ष के अन्त में इसकी संचित हानि इसकी नेट वर्थ का 50 प्रतिशत या इससे अधिक हो तथा/ अथवा जो लगातार तीन तिमाहियों तक अपने ऋणदाताओं को अपनी देयताओं का भुगतान करने में असफल रही हो। प्रो0 नन्दकर्णी के अनुसार- ’’एक निवेशक के लिए वह इकाई रूग्ण है जो लाभांश नही देती, एक उद्योगपति के लिए जो लाभ नही अर्जित कर रही है और बन्द होने के कगार पर है, एक बैक की दृष्टि से वह इकाई रूग्ण है जिसने गत वर्ष नगद हानि उठाई हो एवं चालू तथा आने वाले वर्षो मे भी उसकी पुनरावृत्ति की सम्भावना हो।‘’