• January to March 2025 Article ID: NSS8989 Impact Factor:8.05 Cite Score:24074 Download: 218 DOI: https://doi.org/ View PDf

    स्वामी दयानंद सरस्वती के वैचारिक आंदोलन का भारतीय शिक्षा नीति पर प्रभाव

      हीरा लाल अहीर
        शोधार्थी (शिक्षाशास्त्र) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
      डॉ. राखी शर्मा
        सह-प्राध्यापक (शिक्षाशास्त्र) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)

शोध सारांश- स्वामी दयानंद सरस्वती वह महान संत थे जिन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और तमाम प्रकार के आडंबरों का डटकर विरोध किया। उन्होंने हमेशा ऐसे अमानवीय आचरण के विरुद्ध आवाज उठाई जो समाज के विकास में बाधक थे। स्वामी जी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और हिन्दू धर्म के गौरव को पुनः स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन महान कार्यों के लिए भारतीय समाज सदैव उनका ऋणी  रहेगा।   

स्वामी दयानंद सरस्वती के शिक्षा संबंधी विचार और उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधार के प्रयासों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है। उनके विचारों और कार्यों को समझने के लिए विभिन्न रचनात्मक पहलुओं को समग्र रूप से शामिल करते हुए इस विषय पर गहराई से अध्ययन किया गया है।

शब्द कुंजी-स्वामी दयानंद सरस्वती, अज्ञानता, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता।