• January to March 2025 Article ID: NSS9011 Impact Factor:8.05 Cite Score:7150 Download: 118 DOI: https://doi.org/ View PDf

    प्राचीन भारतीय प्रतिरक्षा एवं सैन्य संगठन व युद्ध में नैतिक नियमों की उपयोगिता वर्तमान संदर्भ में

      डॉ. जे.के. संत
        सहायक प्राध्यापक (राजनीतिशास्त्र) शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर (म.प्र.)

प्रस्तावना- रणक्षेत्र में युद्ध किस प्रकार करना चाहिए इस विषय में मनु ने व्यवस्था दी है -राजा को रणस्थल में चाहिए कि वह सेना को टोलियों अथवा जत्थों में आवश्यकता अनुसार विभाजित कर दें। इन जत्थों के अलग-अलग नायकों को नियुक्त उन्हें विभिन्न दिशाओं में स्थापित कर देना चाहिए। इन टोलियों के अलग-अलग नाम रख देना चाहिए जिससे कि उन्हें सुविधा पूर्वक संबोधित किया जा सके और युद्ध के लिए आदेश दिया जा सके। यदि सेना अल्प हो तो सेहत युद्ध करना चाहिए और यदि विशाल हो तो उन्हें फैल -फुटकर युद्ध करने का आदेश देना चाहिए। मनु ने व्यूह रचना करके युद्ध करना श्रेयस्कर माना है।(महाभारत में पांडव कौरव के बीच व्यूह रचना करके ही युद्ध में अभिमन्यु को मारा गया था) इसीलिए उनके निर्देश है कि समय और परिस्थिति के अनुसार सूची या वज्र व्यूह बनाकर रणस्थल में युद्ध करना चाहिए। कुशलता पूर्वक युद्ध के लिए इन व्यहोंू की रचना का समर्थन महाभारत कार, कौटिल्य, कामन्दक आदि के ग्रंथों में भी किया गया है।