• October to December 2024 Article ID: NSS9028 Impact Factor:8.05 Cite Score:6460 Download: 112 DOI: https://doi.org/ View PDf

    आचार्य विशुद्धसागर के साहित्य में समाजिक चेतना के विविध आयाम

      डॉ. रचना तैलंग
        प्राध्यापक (हिन्दी) शास. हमीदिया कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भोपाल (म.प्र.)
      दिलीप कुमार जैन
        शोधार्थी (हिन्दी) शास. हमीदिया कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भोपाल (म.प्र.)

प्रस्तावना- ‘‘आचार्य विशुद्धसागर वर्तमान समय में चर्या शिरोमणि के रूप में उनकी ख्याति पूरे देश में वयाप्त है। आत्मकल्याण के सूत्र उनके आचरण और सृजन के द्वारा दिये गये हैं। वे मनुष्य के कल्याण के लिए ऐसे सूत्र हैं जिनके द्वारा व्यक्ति इस भव बंधन से मुक्त हो सकता है। सुख चाहते होतो आत्मानुभूति का प्रयास करों। दुःखों का अंबार तो जीवन में बना ही रहेगा। इसलिए हमेशा अपने विवेक को जाग्रत रखो और जीवन के प्रत्येक अनुभव से शिक्षा प्राप्त कर आत्मकल्याण की दिशा में प्रवृत्त होने का प्रयास करो। यही जीवन का श्रेय और प्रेय है।‘’