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October to December 2024 Article ID: NSS9051 Impact Factor:8.05 Cite Score:10275 Download: 142 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारत की भौगोलिक स्थिति और आर्थिक विकास
डॉ. विवेक कुमार पटेल
सहायक प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (वाणिज्य) शासकीय शहीद केदारनाथ महाविद्यालय, मऊगंज (म.प्र.)श्री अनबर खान
सहायक प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (भूगोल) शासकीय शहीद केदारनाथ महाविद्यालय, मऊगंज (म.प्र.)
शोध सारांश- भारत एक विशाल और विविध भौगोलिक संरचना वाला देश है,
जिसकी स्थिति आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शोध पत्र भारत की भौगोलिक
विशेषताओं का विश्लेषण करता है और यह दर्शाता है कि किस प्रकार भौगोलिक स्थिति ने देश
के विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया है।यह शोध पत्र भारत
की भौगोलिक स्थिति और उसके आर्थिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करता है।
भारत की अद्वितीय भौगोलिक स्थिति - हिमालय से घिरा उत्तर, विशाल तटीय क्षेत्र, विविध
जलवायु और संसाधनों की उपलब्धता,इसके आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती
है।भारत की जलवायु विविधता कृषि को व्यापक रूप से प्रभावित करती है, जो आज भी करोड़ों
लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। नदी प्रणालियाँ सिंचाई और जल परिवहन के लिए सहायक
हैं, जबकि खनिज संसाधनों की उपलब्धता उद्योगों के विकास में योगदान देती है। इसके अलावा,
भारत की रणनीतिक स्थिति - विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में,अंतरराष्ट्रीय व्यापार
और समुद्री संपर्क को बढ़ावा देती है।हालांकि, भौगोलिक विविधता के कारण क्षेत्रीय असमानता,
प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति, और कुछ इलाकों में बुनियादी ढांचे की कमी जैसे मुद्दे
भी सामने आते हैं, जो आर्थिक विकास की गति को प्रभावित करते हैं। इस शोध में यह निष्कर्ष
निकाला गया है कि भारत की भौगोलिक स्थिति न केवल इसके आर्थिक विकास में सहायक है, बल्कि
यह एक रणनीतिक संपत्ति भी है, बशर्ते कि उपलब्ध संसाधनों का समुचित और सतत् उपयोग किया
जाए।














