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April to June 2025 Article ID: NSS9131 Impact Factor:8.05 Cite Score:5507 Download: 103 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9131 View PDf
कृषि उपज मंडी समितियों का वित्तीय एवं संरचनात्मक अध्ययन (छत्तीसगढ़ राज्य के संदर्भ में )
डॉ. आकांक्षा राठौर
सहायक प्राध्यापक (वाणिज्य) प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर (म.प्र.)
शोध सारांश-यह शोध पत्र छत्तीसगढ़ राज्य की कृषि उपज मंडी समितियों की आय-व्यय, कृषि उपज की आवक तथा अधोसंरचनात्मक विकास की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य यह समझना है कि गत पाँच वर्षों में मंडी समितियों की वित्तीय स्थिति एवं कार्यप्रणाली में क्या परिवर्तन हुए हैं। शोध में द्वितीयक आँकड़ों का प्रयोग किया गया है, जो मुख्यतः छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन मंडी बोर्ड तथा ई-नाम पोर्टल से संकलित हैं। सांख्यिकीय विधियों जैसे माध्य, मानक विचलन, विचरण एवं सहसंबंध विश्लेषण का प्रयोग किया गया है।
आंकडों का विश्लेषण करने पर यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ हैं कि वर्ष 2020 से 2025 के दौरान मंडी समितियों की आय एवं व्यय दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आय और व्यय के मध्य सहसंबंध गुणांक 0.63 है, जो मध्यम सकारात्मक संबंध को दर्शाता है। कृषि उपज की कुल आवक में निरंतर वृद्धि देखी गई है, जिसका सहसंबंध गुणांक 0.956 है, जो अत्यधिक सकारात्मक संबंध को दर्शाता है। कृषि विपणन मंडी बोर्ड द्वारा मंडी समितियों में गोदाम, सड़क, तौल कांटा, कृषक विश्रामगृह आदि जैसे अधोसंरचनात्मक विकास कार्य किए गए हैं, जिससे विपणन व्यवस्था अधिक संगठित व पारदर्शी हुई है।
शोध में यह पाया गया कि मंडी व्यवस्था में निरंतर सुधार हो रहा है, जो डिजिटलीकरण, अधोसंरचना विकास तथा आधुनिक कृषि के समन्वय का परिणाम है। तकनीकी निगरानी, महिला कृषक भागीदारी, ग्रामीण क्षेत्रों तक सुविधाओं का विस्तार और कृषक जागरूकता के माध्यम से कृषि उपज मंडी समितियों को और अधिक सशक्त बनाया जा सकता है।
शब्द कुंजी-कृषि उपज मंडी समिति, अधोसंरचना विकास, ई-नाम (eNAM) पोर्टल,छत्तीसगढ़ राज्य़कृषि
विपणनमंडी बोर्ड, सहसंबंध गुणांक।














