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January to March 2025 Article ID: NSS9172 Impact Factor:8.05 Cite Score:538 Download: 31 DOI: https://doi.org/ View PDf
बाह्य देशों से प्राचीन एवं आरंभिक मध्यकालीन भारत का व्यापारिक सम्बन्ध
डॉ. सीमा गौतम
सह आचार्य (इतिहास) साहू राम स्वरूप महिला महाविद्यालय, बरेली (उ.प्र.)
शोध सारांश- किसी भी राष्ट्र के विकास
में व्यापार वाणिज्य की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। भारत को उत्तर में हिमालय और दक्षिण
में समुद्र की सीमा होने का सौभाग्य प्राप्त है।समुद्र की उपस्थिति ने महाद्वीपों में
व्यापार के प्रसार में बहुत सहायता की है। प्राचीन काल में भारत कपास, रेशम, चीनी,
बहुत से कीमती पत्थरों एवं मसाले का प्रमुख निर्यातक था। यह सभी वस्तुएं अन्य देशों
से सोने और चांदी के बदले में निर्यात की जाती थी। कई राजवंशों के सम्राटों ने व्यापार
वाणिज्य को प्रोत्साहन देते हुए विभिन्न प्रकार के सिक्कों का प्रचलन प्रारंभ किया।
मुस्लिम सत्ता स्थापित हो जाने के बाद मुसलमान व्यापारियों तथा सौदागरों की गतिविधियां
तेज हो गई जिसके परिणाम स्वरुप उत्तरी भारत में व्यापार वाणिज्य की प्रगति हुई। 11
वीं शती तक आते-आते भारत और पश्चिमी देशों के बीच व्यापार पुनः तेज हो गया जिससे देश
आर्थिक दृष्टि से समृद्ध हुआ।














