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January to March 2025 Article ID: NSS9196 Impact Factor:8.05 Cite Score:353 Download: 25 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारतीय विदेश नीति: परम्परागत व समकालीन आयामों का विश्लेषणात्मक अध्ययन
डॉ. शोभा गौतम
सह आचार्य (राजनीति विज्ञान) से. मु .मा .राजकीय कन्या महाविद्यालय, भीलवाड़ा (राज.)
शोध सारांश - भारतीय विदेश नीति का कई चरणों में विकास हुआ है। भारतीय विदेश नीति का इतिहास उसके औपनिवेशिक अतीत, शीत युद्ध के दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन के रुख और 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण ने भारत को धीरे-धीरे एक अधिक व्यावहारिक और बहुआयामी विदेश नीति की ओर अग्रसर किया। स्वतंत्रता के बाद, भारत की विदेश नीति गुटनिरपेक्षता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, और रणनीतिकस्वायत्तता के सिद्धांतों से प्रेरित थी। 1962 का चीन-भारतीय युद्ध, 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध, और 1998 के परमाणु परीक्षण जैसे प्रमुख घटनाओं ने भारत की विदेश नीति की रणनीतियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। 21वीं सदी की शुरुआत में भारत ने वैश्विक शक्तियों के साथ अधिक संलग्न होना, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भाग लेना और एक अधिक व्यावहारिक विदेश नीति दृष्टिकोण अपनाना शुरू किया।वर्ष 2014 के बाद की अवधि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक अधिक मुखर और सक्रिय दृष्टिकोण द्वारा चिह्नित है, जिसमें वैश्विक शक्तियों, क्षेत्रीय पड़ोसियों और प्रवासी समुदायों के साथ बढ़ती भागीदारी शामिल है। प्रस्तुत शोधपत्रमें भारत की परंपरागत विदेश नीति को रेखांकित करते हुए वर्ष 2014 से 2024 के काल में भारतीय विदेश नीति में आए परिवर्तनों का अध्ययन किया गया है। इस हेतु भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी नीति पत्रों, आधिकारिक बयानों और रिपोर्टों, विशेषज्ञ राजनयिकों, नीति निर्माताओं और अकादमिक विशेषज्ञों के साक्षात्कार, राष्ट्रीयव अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओंतथा पूर्व में प्रकाशित शोध पत्रों-पुस्तकोंका अध्ययन किया गया है।शब्द कुंजी - विदेश नीति, गुटनिरपेक्षता, पंचशील, एक्टईस्ट, आपूर्ति श्रृंखला।














