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April to June 2025 Article ID: NSS9219 Impact Factor:8.05 Cite Score:192 Download: 18 DOI: https://doi.org/ View PDf
प्रवासी जनजातीय श्रमिकों को प्रेरित करने वाले कारकों का समाजकार्य अध्ययन (मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के विशेष संदर्भ में)
कपिल डामर
पीएच.डी. शोधार्थी (समाजकार्य) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, डॉ. अम्बेडकर नगर, महू (म.प्र.)
प्रस्तावना- आधुनिक भारत में बढ़ती
हुई जनसंख्या व बेरोजगारी के कारण लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए ग्रामिण क्षेंत्रों
से शहरी की और रोजगार की तलाश में जा रहें है जिसमें रोजगार, प्रवास सबसे बड़ा कारण
है। ग्रामिण क्षैत्रों में निवास करने वाले अधिकतर जनजातीय लोंगो के पास आय के संसाधन
न होने तथा मूल स्थान पर रोजगार की सुविधाएँ न मिलने के कारण अपने घर को छोड़कर शहरों
की ओर मजदूरी करने जा रहे है। इस प्रकार से देश में असंगठित क्षेंत्रों में 42 करोड़
श्रमिक मजदूर प्रवास मजदूरी के रूप में संलग्न है। जिसकी आयु 18-40 वर्ष आयु समुह के
श्रमिक सिर पर बोझढ़ोना ईट-भट्टा, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, भवन-निर्माण मजदूर आदि
सम्मलित है।














