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October to December 2024 Article ID: NSS9227 Impact Factor:8.05 Cite Score:68 Download: 10 DOI: https://doi.org/ View PDf
शैव परम्पराओं के माध्यम से सामाजिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का विकास (बिलासपुर जिले के विशेष संदर्भ में)
डॉ. अंजू तिवारी
सह प्राध्यापक, सामाजिक विज्ञान विभाग (इतिहास) डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय, करगी रोड, कोटा, बिलासपुर (छ.ग)महेन्द्र कुमार दुबे
शोधार्थी, सामाजिक विज्ञान विभाग (इतिहास) डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय, करगी रोड, कोटा, बिलासपुर (छ.ग)
शोध सारांश- भारत में धार्मिक परम्पराएँ न केवल व्यक्तिगत आस्थाओं का प्रतिबिंब है, बल्कि समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को भी आकार देती है। शैव परम्पराएँ, जो शिव भगवान की उपासना पर आधारित है. भारतीय समाज में सदियों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। यह परम्परा नकेवल धार्मिक आस्थाओं को प्रकट करती है. बल्कि सामाजिक एकता और धार्मिक सहिष्णुताके संवर्धन में भी अहम योगदान देती है। शैव परम्पराएँ विभिन्न जातियों समुदायो और वर्गं को एक साथ लाने में सहायक रही है। शिव की उपासना का सार्वभौमिक पहलू इस परम्परा को एकता का प्रतीक बनाता है जिससे समाज के विभिन्न वर्गों और धर्मो के बीच सहयोग और समझ को बढ़ावा मिलता है। शैव धर्म में न केवल हिंदू धर्म के अनुयायी, बल्कि बौद्ध, जैन और अन्य धार्मिक समुदायों के लोग भी शामिल हुए हैं, जो धार्मिक सहिष्णुता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इस शोध में शैव परम्पराओं के सामाजिक और धार्मिक प्रभावी का विश्लेषण किया जाएगा जिसमें यह देखा जाएगा कि किस प्रकार शैव उपासना ने भारतीय समाज में धार्मिक भिन्नताओं के बावजूद एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। यह अध्ययन यह भी दर्शाएगा कि शैव धर्म ने सामाजिक न्याय, समानता और मानवता के मूल्यों को स्थापित करने में किस तरह की भूमिका निभाई।
शब्द कुंजी- शैव परम्पराएँ, सामाजिक एकता, धार्मिक सहिष्णुता भारतीय समाज
शिव पूजा धार्मिक विविधता।














