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April to June 2025 Article ID: NSS9233 Impact Factor:8.05 Cite Score:2046 Download: 62 DOI: https://doi.org/ View PDf
पंचायतीराज अधिनियम के द्वारा जनजातीय महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता का विकास (सतना जिले के विशेष संदर्भ में)
डॉ. राजेश त्रिपाठी
एसो. प्रोफेसर (समाजशात्र) म.गा.चि.ग्रा.वि.वि., चित्रकूट, सतना (म.प्र.)कृष्णपाल सिंह परमार
शोधार्थी (समाजशास्त्र) म.गा.चि.ग्रा.वि.वि., चित्रकूट, सतना (म.प्र.)
शोध सारांश- भारत गाँव का देश है भारत
की अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। देश में तीन तरह का समाज पाया
जाता है जनजातीय समाज, ग्रामीण समाज एवं शहरी समाज। जनजातीय समाज अत्यंत पिछड़ा एवं
अविकसित होने के कारण विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाता है। अतः जनजातीय समाज को
पंचायतीराज अधिनियम के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी का परिणाम
है कि जनजातीय समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जनजातीय महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता का विकास। किसी ने कल्पना नहीं
की होगी कि पंचायत में महिला आरक्षण उन्हें सशक्त बना देगा। जनजातीय समाज की महिलाओं
में क्षमता और ऊर्जा का कोई अभाव नहीं है अगर समाज उनका साथ दे तो जनजातीय महिलाएं
पंच और सरपंच से अधिक विकास कर वे अपने अनुभव के आधार पर अपने आप को विधान सभाओं और
लोकसभा में जाने के लिए तैयार कर सकेंगी।
