• July to September 2025 Article ID: NSS9259 Impact Factor:8.05 Cite Score:1175 Download: 45 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9259 View PDf

    कामकाजी महिलाओं की समस्याएं : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

      नागेश्वरी कुमारी
        रिसर्च स्कॉलर, राधा गोविंद यूनिवर्सिटी, रामगढ़ (झारखंड)

शोध सारांश-  नारी को “आधी दुनिया कहा जाता है। वह एक ऐसी “आधी दुनिया है जो कदम- कदम पर पुरुष द्वारा अनुशासित होती रही है। आजादी के बाद नारी शिक्षा की स्थिति में सुधार के कारण उच्च मध्यवर्गीय के साथ-साथ आम शहरी मध्यवर्गीय परिवारों की नारियां भी शिक्षित हुई और उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की प्रयास की। इसमें से कई महिलाओं ने सफलता भी हासिल की, लेकिन पुरुष प्रधान सोच और समझ हमेशा उनके आड़े आते हैं, जो उनकी समस्याओं का कारण बनती है। कामकाजी महिलाएं कौन है? असल इस प्रश्न का उत्तर समाज ने अपनी दृष्टिकोण और सोच पर आधारित बनाकर संग्रहित किया है। समाज सोचता है कि घर से बाहर काम करने वाली महिलाएं कामकाजी महिलाएं हैं। कामकाजी महिला का अर्थ काम करने वाली महिला से है ये सिर्फ सामाजिक दृष्टिकोण ही है, जो महिलाओं को तनावग्रस्त बनाता है। घर परिवार में कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक बाहर काम करने वाली महिला को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें बस उनसे अपने लिए सेवा चाहिए। एक महिला क्या कुछ प्रदान नहीं करती। नौकरी करने वाली महिला चाहे जितनी परेशान हो, उसे ही सब कुछ निभाना पड़ता है एक महिला न सिर्फ शारीरिक रूप से परेशान रहती है बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत अधिक तनावग्रस्त रहती हैं। जिसके कारण उनका पूरा जीवन प्रभावित होता है जिस सेवा के लिए हमें कीमत चुकानी पड़ती है किसी कार्य को महिलाएं बिना मूल्य के एवं बेरोजगारी के नाम के साथ खुशी से करती हैं।

अध्ययन में हम कामकाजी महिलाओं की समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। कि वो घर और बाहर दोनों ही समस्याओं में महिलाओं को दोहरी भूमिका अदा करनी पड़ती है।

शब्द कुंजी-सामाजिक असमानता, दृष्टिकोण, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक विडम्बना,कामकाजी, कार्यस्थल, समस्याएं।