• April to June 2025 Article ID: NSS9270 Impact Factor:8.05 Cite Score:347 Download: 24 DOI: https://doi.org/ View PDf

    सीकर जिले में जल संसाधन और कृषि सिंचाई

      सुनील कुमार ढाका
        शोधार्थी, राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा, कोटा विश्वविद्यालय, कोटा (राज.)
      डॉ. एल. सी. अग्रवाल
        आचार्य, भूगोल विभाग, राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा (राज.)

शोध सारांश-  सीकर जिला अर्द्ध शुष्क प्रदेश में स्थित है। इसके उत्तर-पश्चिमी भाग में शुरू से ही पानी की कमी रही है।जिससे वैयक्तिक और सामुदायिक दोनों स्तर पर ही परम्परागत जल संरक्षण पद्धतियाँ प्रचलित रही हैं। जलवायु परिवर्तन, बदलती जीवन शैली, बढ़तीहुई जनसंख्या का दबाव और तीव्र औद्योगीकरण के कारण जल संसाधनों पर भी दबाव बढ़ता ही जा रहा है। समाप्त होते सतही जल संसाधन और भू-जल के अंधाधुंध दोहन करने से जिले की भू-जल निष्कर्षण की दर भू-जल पुनर्भरण की तुलना में अधिक आगे निकल गई। यह दर जिले के भू-जल ब्लॉकों में अलग-अलग पाई जाती है। पिछले दो दशकों से जिले में इस तीव्र जल निष्कर्षण की दर ने कृषि में सिंचाई को भी प्रभावित किया है। घटते हुए जल संसाधन और बढ़ती हुई नलकूपों की संख्या के कारण जिले के विभिन्न क्षत्रों में कृषि सिंचाई में भी परिवर्तन आया है। पानी की कमी के चलते फसल प्रतिरूप में भी बदलाव आया है। इस प्रकार अध्ययन क्षेत्र सीकर में कम होते जल संसाधनोंसे विभिन्न क्षेत्रों में कृषि सिंचाई में आए हुए बदलावों का अध्ययन करना है।

शब्द कुंजी-भू-जल, निष्कर्षण, सिंचाई, दोहन, फसल प्रतिरूप इत्यादि।