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October to December 2024 Article ID: NSS9281 Impact Factor:8.05 Cite Score:87 Download: 11 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारतीय ज्ञान परंपरा और अर्थशास्त्र
डॉ. ममता पंवार
सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शास. माधव महाविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
प्रस्तावना- यह शोध पत्र भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित आर्थिक
विचारों और सिद्धांतों की पड़ताल करता है। यह तर्क देता है कि आधुनिक अर्थशास्त्र के
विपरीत, भारतीय दृष्टिकोण में आर्थिक गतिविधियों को धर्म (नैतिकता), अर्थ (धन), काम
(इच्छा), और मोक्ष (मुक्ति) के चौगुटे (चतुर्वर्ग) के व्यापक ढांचे के भीतर देखा गया
है। इस पत्र में प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे वेदों, उपनिषदों, महाभारत, रामायण, और
विशेष रूप से कौटिल्य के अर्थशास्त्र में पाए गए आर्थिक सिद्धांतों का विश्लेषण किया
गया है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि प्राचीन भारतीय विचारकों ने न केवल आर्थिक पहलुओं
पर गहन चिंतन किया, बल्कि एक ऐसे समावेशी और संतुलित मॉडल का प्रस्ताव भी रखा, जो व्यक्तिगत
समृद्धि के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और पारिस्थितिक संतुलन पर भी जोर देता है। यह शोध
इस बात पर भी प्रकाश डालेगा कि आधुनिक अर्थशास्त्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों, जैसे
पर्यावरणीय गिरावट, असमानता और नैतिक शून्यता के समाधान के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा
से क्या सीखा जा सकता है।














