• July to September 2024 Article ID: NSS9294 Impact Factor:8.05 Cite Score:195 Download: 17 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9294 View PDf

    शुंगकालीन धार्मिक नीति एवं ब्राह्मण

      डॉ. श्री कान्त मिश्र
        सहा. प्रा. (इतिहास) शास. महा. मार्तण्ड महाविद्यालय, कोतमा (म.प्र.)

प्रस्तावना-  पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल वैदिक अथवा ब्राह्मण धर्म का पुनरुत्थान काल माना गया है। पुष्यमित्र को गोसुंडी अभिलेख में ’’सर्वतात का शंकर्षण तथा वासुदेव का पुजारी और अश्वमेध यज्ञ करने वाला’’ कहा गया है। कालिदास रचित मालविकाग्निमित्र नाटक और अयोध्या शिलालेख से भी पुष्यमित्र शुंग द्वारा सम्पन्न अश्वमेध यज्ञ का विवरण मिलता है। अतः इन विवरणों से स्पष्ट है कि पुष्यमित्र शुंग ब्राह्मण धर्मावलंबी था। पतंजलि जैसे संस्कृत पंडित उसके राजपुरोहित हुए थे। इसलिए पुष्यमित्र के शासनकाल में संस्कृत साहित्य और ब्राह्मण धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार स्वाभाविक था। पुष्यमित्र के शासनकाल में महाभारत का दूसरा संस्करण और मनुस्मृति का प्रथम संस्करण सम्पादित हुआ था। पतंजलि के महाभाष्य और गार्गी संहिता को भी इस युग में ही संकलित किया गया। पुष्यमित्र शुंग ने वैदिक धर्म को राजधर्म बनाया तथा पाली के स्थान पर संस्कृत को राजभाषा का रूप प्रदान किया। इस काल में ब्राह्मण धर्म का एक प्रमुख लोकप्रिय धर्म ’भागवत धर्म’ का उदय और प्रसार हुआ, जिसकी जानकारी हेलियोडोरस के बेसनगर स्तम्भ लेख से होती है।