• July to September 2024 Article ID: NSS9297 Impact Factor:8.05 Cite Score:66 Download: 9 DOI: https://doi.org/ View PDf

    फसलों का शस्य संयोजन प्रतिरूप एवं गहनता बड़वानी जिले के विशेष संदर्भ में

      डॉ. प्रमिला बघेल
        सहा. प्राध्यापक (भूगोल) शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)

प्रस्तावना- किसी क्षेत्र विशेष में फसलो के उत्पादन समूह को शस्य संयोजन कहा जाता है। फसलों के भिन्न-भिन्न अध्ययनों के साथ शस्य संयोजन के अध्ययन को महत्वपूर्ण माना जाता है जे.सी.बीवर (1954) ने शस्य संयोजन का परिचय देते हुये महत्व को व्यक्त करते हुये कहा कि-एक तो विभिन्न फसलों का महत्व अलग-अलग है, जिसको समझने हेतू शस्य संयोजन आवश्यक है दूसरा किसी क्षेत्र की फसलों का समहू वहां की भौतिक, सामाजिक, आर्थिक, ऐतिहासिक दशाओ का संयुक्त रूप होता है। तीसरे कृषि स्थानीकरण को एकाकी फसल के विश्लेषण द्वारा नही अपितु शस्य संयोजन के माध्यम से समझा जा सकता है।