• July to September 2025 Article ID: NSS9302 Impact Factor:8.05 Cite Score:163 Download: 16 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारत में लैंगिक समानता में डॉ. भीमराव अबेंडकर के योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन

      विजया लक्ष्मी जोशी
        सहायक प्राध्यापक, शासकीय विधि महाविद्यालय, शाजापुर (म.प्र.)

शोध सारांश-  प्रस्तुत शोध आलेख में लैंगिक समानता को परिभाषित कर डॉ. भीमराव अबेंडकर के भारत में लैंगिक समानता हेतु किए गए प्रयासों का संक्षिप्त वर्णन कर वर्तमान में भारत में लैंगिक समानता की यथार्थ स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया हैं। लैंगिक समानता को संयुक्त राष्ट्र संघ ने सतत् विकास हेतु पाॅचवा लक्ष्य निर्धारित कर 2030 तक संपूर्ण विश्व में लैंगिक समानता लाने हेतु समस्त विश्व को प्रतिबद्ध किया है। डॉ. भीमराव अंबेडकर एक न्यायविद, समाज सुधारक, संविधान निर्माता, राजनेता होने के साथ साथ महिलाओं के पुरूषों के समान अधिकारों के कट्टर सर्मथक भी थे। 1927 में  उन्होंने महिलाओं की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा - ‘‘मैं किसी समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति की डिग्री से मापता हूं।‘’

डॉ. भीमराव अबेंडकर ने 1936 में जोगिनी एवं देवदासी प्रथा की आड़ में महिलाओं के यौन षोषण को रोकने हेतु इन प्रथाओं को बंद करने हेतु आवाज उठाई। उन्होंनें भारत में सर्वप्रथम Mines Maternity Benefit Act के अधीन खान में कार्य करने वाली महिला श्रमिकों को पुरूष श्रमिकों के समान वेतन एवं प्रसूति अवकाश का प्रावधान कर लैंगिक समानता में अपना अनूठा योगदान दिया। हिंदू कोड बिल भारत में लैंगिक समानता में डॉ. भीमराव अबेंडकर जी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान हैं, इसके अधीन उन्होंने एकल विवाह, महिलाओं को पुरूषों के समान तलाक, दत्तक, संपति में अधिकार हेतु उपबंध कर भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया। उन्होनें ‘‘यूनिवर्सल एडल्ट मताधिकार’’ लागू कर भारतीय महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाया, उनके प्रभाव के कारण समान वेतन अधिनियम 1976, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 पारित हुए। संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने भारतीय संविधान में महिलाओं के प्रति भेदभाव को समाप्त करने एवं उन्हें विशेषाधिकार दिलानें हेतु विभिन्न अनुच्छेदों जैसे- अनुच्छेद 14, 15(1), 15(3), 16(1), 23, 39, 42, 46, 51-क(ड़), 243घ(3), 243न(3) में उपबंध कर भारत में लैंगिक समानता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने ‘‘मूक नायक’’ एवं ‘बहिष्कृत भारत’ जैसे समाचार पत्रों की स्थापना कर तत्कालीन भारत में व्यापत महिला विरोधी कुप्रथाओं के खिलाफ इन समाचार पत्रों में लेख लिखकर इन कुप्रथाओं को बंद करने में अपनी महती भूमिका निभाई।


शब्द कुंजी - लैंगिक समानता, भारत में लैंगिक समानता में डॉ. भीमराव अबेंडकर का योगदान, वर्तमान भारत में लैंगिक समानता की वास्तविक स्थिति, विश्लेषणात्मक अध्ययन ।