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July to September 2024 Article ID: NSS9308 Impact Factor:8.05 Cite Score:55 Download: 8 DOI: https://doi.org/ View PDf
स्वप्नवासवदत्तम् में पात्रों के नैतिक आदर्श मूल्यों का अध्ययन
रमेश कुमार मेघवाल
सहायक आचार्य (संस्कृत) राजकीय महाविद्यालय, आहोर (जालोर) (राज.)
शोध सारांश- नाटककार भास के द्वारा रचित “स्वप्नवासदत्तम्”नाटक छः अंको का है। इस नाटक में वत्सराज उदयन, राजकुमारी वासवदत्ता और राजकुमारी पद्मावती की रोचक कथा का वर्णन तथा वत्सराज उदयन और वासवदत्ता की स्वप्न में मिलने की रोचक घटना वर्णित है। इसी कारण इसका नाम “स्वप्नवासदत्तम्” है। वत्सराज उदयन का विवाह राजकुमारी वासवदत्ता से होने के बाद वे राज्य कार्य पर ध्यान नहीं देते है और इस अवसर का लाभ उठाकर उनका शत्रु आरुणि राज्य के अधिकांश भाग पर कब्जा कर लेता है। तब प्रधान अमात्य यौगन्धरायण राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिए वासवदत्ता और स्वयं के जलकर मरने की मिथ्या बात फैलाकर, मगध नरेश की बहिन पद्मावती से राजा उदयन के विवाह की योजना बनाते है। यौगन्धरायण वासवदत्ता को अपनी बहिन बताकर राजकुमारी पद्मावती के पास धरोहर के रूप में रख देते है। उदयन स्वप्न में वासवदत्ता को देखता है तो उनकी स्मृति ताजा हो जाती है। तदनन्तर राजा उदयन का राजकुमारी पद्मावती के साथ विवाह हो जाता है। मगध नरेश की सहायता से राजा उदयन अपना राज्य पुनः प्राप्त कर लेते है, फिर वासवदत्ता और उदयन का पुनर्मिलन होता है। वत्सराज उदयन वासवदत्ता और पद्मावती के साथ सहर्ष राजधानी लौट जाते है। नाटककार भास ने पात्रों के चरित्र-चित्रण में आदर्श नैतिक मूल्य प्रस्तुत किये है।
शब्द कुंजी-उदयन, वासवदत्ता, पद्मावती,
यौगन्धरायण, वसन्तक, स्वप्नवासवदत्तम्, चरित्र-चित्रण, नैतिक मूल्य, आदर्श ।














