• April to June 2025 Article ID: NSS9330 Impact Factor:8.05 Cite Score:11 Download: 2 DOI: https://doi.org/ View PDf

    राजस्थान पुलिस: तब और अब - एक तुलनात्मक अध्ययन

      डॉ. रतन लाल सुथार
        सहायक आचार्य (लोक प्रशासन) विद्या भवन रूरल इंस्टिट्यूट, उदयपुर (राज.)

शोध सारांश- एक राज्य के निर्माण में चार तत्व- यथा जनसंख्या, निश्चित भू-भाग, सरकार व संप्रभुता का योगदान होता है। उस राज्य को एक विकसित राज्य का स्वरूप देने के लिए वहां एक सुव्यवस्थित एवं संगठित प्रशासकीय व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। इस प्रशासकीय व्यवस्था में पुलिस प्रशासन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी समाज में पुलिस की उपस्थिति सामाजिक व्यवस्था की प्रधानता और उसे बनाए रखने के लिए आवश्यक है। विकासशील समाज की अपेक्षा विकसित समाज में नागरिक पुलिस को अधिक सशक्त एवं उत्तरदायी बनाया गया है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में जहाँ राजनीतिक स्थिरता और विकास प्रशासन हेतु विधि सम्मत व्यवस्था की आवश्यकता है, वहाँ पुलिस प्रशासन भी अत्यधिक प्रभावी भूमिका में होना चाहिए।             

    यह शोध पत्र राजस्थान पुलिस के ऐतिहासिक विकास, उसकी वर्तमान स्थिति, पुलिस के समक्ष विभिन्न चुनौतियों और भविष्य की दिशा का विश्लेषण करता है। राजस्थान पुलिस का इतिहास राजस्थान राज्य के गठन से पहले विभिन्न रियासतों की पुलिस व्यवस्था में निहित है। यह शोध पत्र आजादी से पूर्व रियासती पुलिस व्यवस्था से लेकर एक एकीकृत और आधुनिक पुलिस बल बनने तक की यात्रा के गहन अध्ययन पर आधारित है। राजस्थान पुलिस की स्थापना, संगठन, पुलिस की कार्यप्रणाली और सामाजिक भूमिका में आये परिवर्तनों को रेखांकित करते हुए वर्तमान में उसके सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों जैसे- अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति, तकनीकी पिछड़ापन, सामुदायिक समन्वय की कमी और आंतरिक संगठनात्मक मुद्दों को भी यह शोध पत्र उजागर करता है। सारांशतः इस शोध पत्र द्वारा राजस्थान पुलिस द्वारा किए गए सुधारों, नवाचारों और पहलों पर प्रकाश डालना है तथा एक कुशल, जवाबदेह और जन-केंद्रित पुलिस बल के निर्माण के लिए आवश्यक सुझाव देना है।

शब्द कुंजी- पुलिस, प्रशासकी यव्यवस्था, रियासतकाल, एकीकरण, आधुनिकीकरण, अपराध-नियंत्रण, सामुदायिक पुलिस।