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July to September 2025 Article ID: NSS9331 Impact Factor:8.05 Cite Score:100 Download: 12 DOI: https://doi.org/ View PDf
राजस्थान में जनशिकायतों के निवारण में लोकायुक्त संस्थान की प्रासंगिकता
डॉ. रतन लाल सुथार
सहायक आचार्य (लोक प्रशासन) विद्या भवन रूरल इंस्टिट्यूट, उदयपुर (राज.)
शोध सारांश- यह शोध पत्र “जन शिकायतों के निवारण में राजस्थान लोकायुक्त की प्रासंगिकता” विषय पर आधारित है। लोकायुक्त एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जिसका गठन भ्रष्टाचार, शक्ति के दुरुपयोग और पक्षपात जैसे प्रशासनिक दुराचार की जांच हेतु किया गया है। राजस्थान में इसका गठन राजस्थान लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1973 के अंतर्गत हुआ। इस अध्ययन में लोकायुक्त की संरचना, कार्यक्षेत्र और जन शिकायत निवारण में इसकी भूमिका का विश्लेषण किया गया है। शोध में पाया गया कि लोकायुक्त पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा देने में सहायक है, किंतु इसके अधिकार केवल सिफारिशात्मक होने और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियाँ इसकी प्रभावशीलता को सीमित करती हैं। शोध पत्र में संस्था की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए कानूनी सशक्तिकरण, तकनीकी संसाधन और जन-जागरूकता बढ़ाने जैसे सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं।
शब्द
कुंजी- लोकायुक्त, राजस्थान, शिकायत निवारण, भ्रष्टाचार, पारदर्शिता, सुशासन, प्रशासनिक जवाबदेही, कानूनी सशक्तिकरण।














