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July to September 2025 Article ID: NSS9337 Impact Factor:8.05 Cite Score:155 Download: 15 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9337 View PDf
भारतीय इतिहास में मथुरा कला का योगदान
डॉ. शुभम शिवा
प्रोफेसर (चित्रकला) दयानंद गर्ल्स पी० जी० कॉलेज, कानपुर, सम्वद्ध छात्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर (उ.प्र.)देवेन्द्र पाल सिंह
शोधार्थी (चित्रकला) दयानंद गर्ल्स पी०जी० कॉलेज, कानपुर, सम्वद्ध छात्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर (उ.प्र.)
प्रस्तावना- प्रागेतिहासिक युगसे
लेकर शुंगकाल तक के विकास के पश्चातमथुरा की कला कुषाण युग प्रविष्ट हुई। इस युग में इस कला
के कुछ विशेषताएँ आगयी जिनके कारण आगे चल कर इसने सम्पूर्ण भारत की कला कोप्रभावित किया। ईo पूo द्वितीय से लेकर ईशा की
छटी शताब्दी तक मथुरा
उत्तरी
भारत में स्थापत्य कला तथा मूर्ति कला का
एक केन्द्र रहा है। शुंग काल में मथुरा की कला नितान्त देशी ढंग पर विकसित हुई।














