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July to September 2025 Article ID: NSS9347 Impact Factor:8.05 Cite Score:38 Download: 7 DOI: https://doi.org/ View PDf
महिला सशक्तिकरण: चुनौतियां एवं समाधान
डॉ. डी.पी. कुशवाहा
सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) छत्रशाल शास. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पन्ना (म.प्र.)डॉ. मंजू कुशवाह
सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) शास. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, टीकमगढ़ (म.प्र.)
शोध सारांश- आबादी का आधा हिस्सा सामाजिक,
आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास की मुख्य धारा से दूर हो, यह अल्प विकास का द्योतक है। आजादी
के अमृत महोत्सव में भी अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों में अपने अस्तित्व की लड़ाई
लड़ रही महिलाएं समावेशी आर्थिक विकास के लिए प्रश्नचिन्ह हैं। महिला सशक्तिकरण वर्तमान
सबसे प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। भारत ने विकास के उच्च मापदंड स्थापित कर चांद
की दूरी तय कर ली है। परंतु पुरुष-महिला अनुपात ठीक करने में और कितनी सदियां लगेगी।
किसी भी देश की महिलाएं आर्थिक विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है, इनका आर्थिक एवं
सामाजिक रूप से सशक्त होना अति आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण के तहत महिलाओं को आर्थिक-सामाजिक
स्वतंत्रता प्रदान करने का अवसर प्रदान करना है जिससे वे अपने आर्थिक-सामाजिक जीवन
को को सुदृढ़ बना सकें। वास्तव में सशक्तिकरण एक प्रक्रिया है जिसमें अधिकारों एवं शक्तियों
का समावेश होता है। महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य महिलाओं को स्वयं से निर्णय लेने के
लिए सशक्त बनाना है, ताकि वे अपने सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए सभी निर्णय ले सकंे।
इसी प्रकार महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से आशय आर्थिक निर्णय लेने की शक्ति और महिलाओं
को अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी का अवसर उपलब्ध कराने से है। ताकि महिलाओं के आर्थिक,
सामाजिक, जीवन स्तर, स्वतंत्रता एवं कार्य सहभागिता में बृद्धि हो सके।














