• July to September 2025 Article ID: NSS9351 Impact Factor:8.05 Cite Score:29 Download: 6 DOI: https://doi.org/ View PDf

    परिपक्व सामाजिक संवेदना - ‘‘कसक’’ (गीतांजलि श्री)

      डॉ. मनीषा सिंह मरकाम
        सहायक प्राध्यापक (हिन्दी) प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, श्री अटल बिहारी वाजपेयी शा. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)

शोध सरांश- इतना हक सिर्फ एक दोस्त का ही दोस्त के प्रति हो सकता है दोस्ती की चेतना के तल पर कौन से बीज बोए गए हैं यह एक दोस्त का स्पर्श ही उसे महसूस कर सकता है उनकी भावनाओं की गहराई ही उनकी मित्रता की सुंदरता और मिठास है वहीं उनकी सार्थकता भी है। दोनों अपने-अपने जीवन के मकसद को जताने में लगी थी। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों की मित्रता कभी-कभी दार्शनिक मोड़ ले लेती है। दूसरों के मन की बात जान लेने की उत्सुकता में व्यक्ति अपने आप को आईने में देखना पसंद नहीं करता। प्रसिद्ध दार्शनिक लाओत्से ने लिखा है- ‘यदि आप दूसरों को समझते हैं तो आप होशियार हैं। यदि आप खुद को समझते हैं तो आप प्रबुद्ध हैं।ऐसा ही कुछ लेखिका ने कसक कहानी में महसूस किया है- ‘बचपन में मैं कहानी करती थी कि मैं दूसरों के मन के अंदर का खूब भाँप लेती हूँ, कब कोई डींग हाक रहा है कब कोई खास मतलब से बात बना रहा है, कौन निर्दोष है कौन कपटी, सब मुझसे पूछ लो।

शब्द कुन्जी- नजरअंदाज, घमंक, खासियत, परिपक, भांपना।