• July to September 2025 Article ID: NSS9371 Impact Factor:8.05 Cite Score:136 Download: 15 DOI: https://doi.org/ View PDf

    मध्य प्रदेश में जुवेनाइल न्याय प्रणाली का कानूनी आलोचनात्मक विश्लेषण

      मोहित श्रीवास्तव
        शोधार्थी, मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, बिलकिसगंज, सिहोर (म.प्र.)
      योगेश वामंकर
        एसोसिएट प्रोफेसर, मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, बिलकिसगंज, सिहोर (म.प्र.)

शोध सारांश-  भारत में किशोर न्याय का समकालीन परिदृश्य महत्वपूर्ण चुनौतियों को प्रस्तुत करता है, जिसमें बच्चों के खिलाफ अपराध और बच्चों द्वारा किए गए अपराध तेजी से चिंताजनक होते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि राज्य में लगातार भारत में किशोर अपराधों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश ने 2017 में 6,491 मामले, 2018 में 5,232 मामले और 2019 में 5,522 मामले दर्ज किए, जिससे यह भारत में बाल किशोरों से जुड़े सबसे बड़े अपराध अनुपात वाला राज्य बन गया। किशोर न्याय का उद्देश्य बच्चे के अधिकारों पर आधारित है और एक प्राथमिक उद्देश्य के रूप में रोकथाम पर केंद्रित है। हालाँकि, 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में क्रूर सामूहिक बलात्कार मामले ने वर्तमान कानून को बदल दिया, जिससे किशोर न्याय अधिनियम, 2015 बन गया। यह पत्र आलोचनात्मक रूप से विश्लेषण करता है कि मध्य प्रदेश में किशोर न्याय कैसे काम करता है, किस दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए, किन परिस्थितियों में बच्चे अपराध करने के लिए प्रेरित होते हैं, और इसके अनुरूप क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। 

शब्द कुंजी- किशोर न्याय, मध्य प्रदेश, कमीशन, अपराध, अधिनियम, अपराध आँकड़े।