• July to September 2025 Article ID: NSS9378 Impact Factor:8.05 Cite Score:91 Download: 12 DOI: https://doi.org/ View PDf

    स्वामी दयानन्द सरस्वती: वैदिक पुनर्जागरण के अग्रदूत

      डॉ. सुमित मेहता
        सहायक आचार्य, राजकीय कला महाविद्यालय, सीकर (राज.)

प्रस्तावना - स्वामी दयानन्द सरस्वती (1824-1883) आधुनिक भारत के उन महान विचारकों में से एक थे जिन्होंने भारतीय समाज को वैदिक मूल्यों की ओर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने धार्मिक सुधारों की नींव रखी, सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया, शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया और राष्ट्र निर्माण की दिशा में वैचारिक क्रांति की शुरुआत की। उनका जीवन एक तपस्वी, विचारक और समाज-सुधारक के रूप में भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड गया। युगदृष्टा और पथ प्रदर्शक कहे जाने वाले दयानन्द सरस्वती ने पाखण्ड और अन्धविश्वासों के खिलाफ अभियान शुरू किया। स्वामी जी ने हिन्दी भाषा के माध्यम से अध्यात्म, मानवता, भारतीयता, हिन्तुत्व और राष्ट्रभक्ति के प्रति जन-जन को जागृत किया। तत्कालीन समय में जब समाज छुआछूत, विधवा-अत्याचार, बाल-विवाह, अशिक्षा आदि कुरीतियों से ग्रसित था, उस समय स्वामी जी ने समाज के सर्वागींण विकास हेतु कुरीतियों पर करारा प्रहार किया।