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July to September 2025 Article ID: NSS9379 Impact Factor:8.05 Cite Score:135 Download: 15 DOI: https://doi.org/ View PDf
ग्रामीण भारत में सामाजिक परिवर्तन
प्रो. आरती बारोठिया
सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) भेरूलाल पाटीदार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, महू (म.प्र.)
शोध सारांश- भारत की कुल 1 अरब 25 करोड़
आबादी है, जो विश्व की 17.5% के बराबर है। उसमें से ग्रामीण क्षेत्र में 65% जनसंख्या
निवास करती है। वर्तमान में कुल 6.38 लाख गांव है। भारत गांव का देश है, अर्थात गांव
की तरक्की के बिना भारत की उन्नति नहीं हो सकती। विकास के कई पहलू है ये अलग अलग लोगों
के लिए अलग अलग धारणा प्रस्तुत करती है।ये मनुष्य की सभी आकांक्षा और इच्छाओं से जुड़ी
होती है जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है। विकास से प्रगति दिखती हैं
जो लोगों के जीवन पर प्रभाव डालती है। बीसवीं शताब्दी में ग्रामीण सामाजिक संरचना में
परिवर्तन से भारत की जीडीपी में वृद्धि हुई तथा यह विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था
बन गई, लेकिन इन सब का फायदा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को कितना मिल रहा है, यह वास्तव
में देखने की बात है। 1990 दशक के बाद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव दिखाई देने
लगा, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास सामाजिक परिवर्तन का साधन है, ग्रामीण विकास से तात्पर्य
है शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, आवास, मूलभूत सुविधाओं को विकसित करना, गरीबी
को दूर करना, शासन की योजनाओं में ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित कर जागरूकता और
चेतना का संचार करना। इस प्रकार की व्यवस्था से ही गांव के लोगों का सामाजिक, आर्थिक
और सांस्कृतिक विकास होना संभव है। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गांव में बुनियादी
सुविधाओं, आधारभूत संरचनाओं के निर्माण द्वारा ग्रामीण भारत के स्वरूप को बदलने के
लिए विशेष अवसर उपलब्ध करा रही है। गरीबों, महिलाओं, कमजोर और निर्बल वर्गों के लिए
कई कल्याणकारी और विकास की योजनाएं लाई गई है। इन सब का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों
और शहरी क्षेत्रों के बीच व्याप्त विषमताओं को कम करना, संतुलित सामाजिक विकास प्राप्त
करना है। इनमे तत्कालीन कदम मनरेगा, भारत निर्माण एवं खाद्य सुरक्षा हो सकते है। नई
सरकार द्वारा अभी हाल ही में प्रधानमंत्री जन धन योजना ने लोगों को बैंक में खाता खोलकर
बचत करनी की परंपरा की नींव डाली है। बचत किसी भी परिवार और समाज की आर्थिक संतुलन
को बनाए रखने के लिए भूमिका निभाती है। इससे देश की विकास की योजनाओं के कार्यान्वयन में बड़ा योगदान होता है। स्वच्छ भारत
अभियान ने भी लोगों को अपने कर्तव्यों और दायित्वों का ज्ञान कराया, इस प्रकार बदलती
हुई राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों में बहुआयामी सामाजिक परिवर्तन हेतु ग्रामीण
समाज का पुनर्निर्माण करने के बराबर है । योजना आयोग द्वारा जारी वर्ष 2012 को भारतीय
निर्धनता अनुपात 29.8 जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 33.8% था।
