• July to September 2025 Article ID: NSS9381 Impact Factor:8.05 Cite Score:97 Download: 12 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारतीय अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का प्रभाव

      लखन लालकलेशरिया
        सहायक प्राध्यापक (वाणिज्य) शासकीय कन्या महाविद्यालय, सीहोर (म.प्र.)

प्रस्तावना - किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अपनी आय पर अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्रायः धन (Money) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के होते हैं -(1) प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) जैसे - आयकर, उपहार कर, निगमकर, संपत्ति कर आदि (2) अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) जैसे - बिक्री कर, उत्पादन कर, सीमा शुल्क, कस्टम ड्यूटी, जीएसटी आदि। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है इन्हीं में से एक कर है वस्तु एवं सेवा कर इसे हम जीएसटी के नाम से भी जानते हैं यहां कर अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं एवं सेवाओं  की आपूर्ति  पर सरकार द्वारा लगाया जाता है जब से जीएसटी कर प्रणाली भारत में लागू की  है जब से भारत की अर्थव्यवस्था बहुत गतिमान और तीव्र गति से आगे बढ़ रही है जिससे उद्योग व्यापार आयात निर्यात  आदि को सुदृढ़ किया जा रहा है भारत में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) की शुरुआत देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष टैक्स सुधारों में से एक थी। जीएसटी से पहले, भारतीय कर प्रणाली जटिल थी, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा लगाए गए कई अप्रत्यक्ष कर थे। जीएसटी सुव्यवस्थित कर संरचना की शुरुआत, करों के कैस्केडिंग प्रभाव को कम करना और एक एकीकृत कर प्रणाली का निर्माण करना। यह लेख भारत में जीएसटी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, इसके विकास और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की जानकारी देता है।