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July to September 2025 Article ID: NSS9389 Impact Factor:8.05 Cite Score:16 Download: 4 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारत में किशोर अपराध को प्रभावित करने वाले सामाजिक-आर्थिक कारक: एक कानूनी और समाजशास्त्रीय अध्ययन
श्रीमती प्रीती बुंदेला
शोधार्थी, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.)डॉ. राम सिंह पटेल
सह-प्राध्यापक, पं. मोतीलाल नेहरू विधि महाविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.)
शोध सारांश- किशोर अपराध एक जटिल सामाजिक-कानूनी परिघटना है जो आर्थिक कठिनाई, सामाजिक विघटन और कानूनी अपर्याप्तताओं के बीच के अंतर्संबंध को दर्शाती है। भारत में, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों की बढ़ती घटनाओं ने इस प्रवृत्ति के अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक निर्धारकों के बारे में चिंता पैदा कर दी है। यह शोध पत्र इस बात की जाँच करता है कि गरीबी, पारिवारिक अव्यवस्था, बेरोजगारी, शहरीकरण, साथियों का दबाव और शिक्षा का अभाव किशोर अपराध में कैसे योगदान करते हैं। यह किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और संबंधित संवैधानिक एवं नीतिगत ढाँचों के माध्यम से कानूनी प्रतिक्रिया का भी आलोचनात्मक विश्लेषण करता है। सामाजिक-कानूनी दृष्टिकोण अपनाते हुए, इस अध्ययन का उद्देश्य अपराध को केवल एक कानूनी उल्लंघन के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक विकृति के एक लक्षण के रूप में समझना है। यह पत्र इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि किशोर अपराध के मूल कारणों का समाधान करने के लिए, न कि केवल उसके परिणामों को दंडित करने के लिए, समग्र हस्तक्षेप शिक्षा, परिवार कल्याण, गरीबी उन्मूलन और सामुदायिक पुनर्वास को एकीकृत करना आवश्यक है।
शब्द कुंजी-किशोर अपराध, सामाजिक-आर्थिक
कारक, किशोर न्याय, गरीबी, कानूनी ढांचा, सामाजिक अव्यवस्था, पुनर्वास।
