• July to September 2025 Article ID: NSS9414 Impact Factor:8.05 Cite Score:320 Download: 23 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9414 View PDf

    छत्तीसगढ़ राज्य के जनजातियों में वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम के प्रभाव का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

      आशिष कुमार
        शोधार्थी, समाजशास्त्र अध्ययन शाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
      डॉ. एल.एस. गजपाल
        प्राध्यापक, समाजशास्त्र अध्ययन शाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

शोध सारांश-  छत्तीसगढ़ राज्य, जो भारत के मध्य में स्थित है, अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और विविध जनजातीय संरचना के लिए प्रसिद्ध है। राज्य में गोंड, उरांव, भतरा, कमार, बैगा, पहाड़ी कोरवा, भुंजिया, पंडो, अबूझमाड़िया आदि प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं, जो मुख्यतः वन एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 30.62 प्रतिशत भाग अनुसूचित जनजातियों से संबंधित है। इन समुदायों में गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और वित्तीय संसाधनों तक सीमित पहुँच जैसी समस्याएँ विद्यमान हैं, जिसके कारण वे आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। इस परिप्रेक्ष्य में वित्तीय साक्षरता का अभाव उनके आर्थिक और सामाजिक विकास में प्रमुख बाधा बनता है।इस शोध का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में निवास करने वाली जनजातियों के बीच वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों के प्रभाव का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करना है। अध्ययन में यह समझने का प्रयास किया गया है कि ये कार्यक्रम किस हद तक जनजातीय समुदाय के आर्थिक व्यवहार, बचत प्रवृत्ति, ऋण प्रबंधन, निवेश और सामाजिक सशक्तिकरण पर प्रभाव डाल रहे हैं।अध्ययन के लिए प्राथमिक और द्वितीयक दोनों प्रकार के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। उत्तरदाताओं का चयन दैवनिर्देशन (लॉटरी) विधि से किया गया है। डेटा संग्रह प्रश्नावली, साक्षात्कार एवं पर्यवेक्षण विधियों के माध्यम से किया गया।अध्ययन से ज्ञात हुआ कि वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों ने जनजातीय समुदायों में बैंकिंग सेवाओं के उपयोग, बचत खातों की संख्या, और ऋण सुविधाओं की पहुँच में उल्लेखनीय वृद्धि की है। लगभग 50 % उत्तरदाता अब बैंकिंग सेवाओं से परिचित हैं, जबकि 46% लोग औपचारिक ऋण सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण एवं सामुदायिक एकता में भी वृद्धि हुई है। तथापि, सांस्कृतिक रूढ़िवाद, भाषा अवरोध और सूचना की कमी जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। अध्ययन निष्कर्ष रूप में दर्शाता है कि वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम जनजातीय समाज में आर्थिक जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन के सशक्त साधन के रूप में उभर रहे हैं।

शब्द कुंजी-जनजातियों समाज, सामाजिक-संस्कृति, आर्थिक, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय सुरक्षा, वित्तीय व्यवहार