• October to December 2025 Article ID: NSS9439 Impact Factor:8.05 Cite Score:11 Download: 3 DOI: https://doi.org/ View PDf

    छत्तीसगढ़ राज्य में भूमि उपयोग एवं सिंचाई:एक भौगोलिक अध्ययन

      घनश्याम नागे
        अतिथि व्याख्याता (भूगोल) शा.पं.जवाहर लाल नेहरु कला एवं विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बेमेतरा (छत्तीसगढ)
       

शोध सारांश- प्रस्तुत अध्ययन द्वितीयक आँकड़ों पर आधारित है। अध्ययन क्षेत्र में ग्रामीण वन 46,25,200 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है। यह पृष्ठ के कुल क्षेत्रफल का 38.21 प्रतिशत है। अध्ययन क्षेत्र में सबसे अधिक वन दक्षिणी क्षेत्र के अंतर्गत नारायणपुर जिले में 86.17 प्रतिशत है। सबसे कम वन दुर्ग, बेमेतरा व रायपुर जिला में आते हैं, जहां वन क्षेत्र प्रतिशत शून्य है। कृषि के लिए अप्राप्त भूमि का क्षेत्रफल 10,38,069 हेक्टेयर है, जो कुल क्षेत्रफल का 8.57 प्रतिशत है। अकृषि कार्यों में लगी भूमि का प्रतिशत 6.5 तथा ऊसर एव पथरीली भूमि का प्रतिशत 2.39 है। ऊसर एवं गैर कृषि भूमि का सबसे अधिक प्रतिशत (8.04) दंतेवाड़ा में तथा सबसे कम (0.002) बेमेतरा जिला में है। कृषि कार्यों के लिए जो भूमि उपलब्ध नहीं है,उनमें सबसे अधिक प्रतिशत(17.90) रायपुर जिला का है, और सबसे कम (0.45) नारायणपुर व कोण्डागांव (1.87) में है। अध्ययन क्षेत्र में पडती के अतिरिक्त अन्य भूमि 12,66,393 हेक्टेयर है। यह पृष्ठ के कुल क्षेत्रफल का 10.47 प्रतिशत है। चरागाह और घास का मैदान 89,3,656 हेक्टेयर है। यह पृष्ठ के  कुल क्षेत्रफल का 7.39 प्रतिशत है। झाड़ियों के झुण्ड तथा बाग का क्षेत्र 2,706 हेक्टर है। यह क्षेत्रफल का 0.02 प्रतिशत है। इसी तरह कृषि योग्य बेकार भूमि 37,00,32 हेक्टेयर हैं। यह क्षेत्रफल का 3.06 प्रतिशत है। पडती भूमि का क्षेत्र 54,5,816 हेक्टेयर है। यह क्षेत्रफल का 4.51 प्रतिशत है। अध्ययन क्षेत्र में फसलों का निराक्षेत्रफल 46,29,677 हेक्टेयर है। यह पृष्ठ के क्षेत्रफल का 38.24 प्रतिशत है। समतल मैदानी क्षेत्र में निरा बोया गया क्षेत्र अधिक है एवं जहां वनों की अधिकता तथा ढाल युक्त भूमि है वहां निरा बोया गया क्षेत्र न्यूनतम है। अध्ययन क्षेत्र के भूमि उपयोग प्रतिरूप में काफी भिन्नता है। छत्तीसगढ़ राज्य अपने विषम पहाड़ी व पठारी उच्चावच के कारण तालाबों द्वारा सिंचाई के लिए अधिक उपयुक्त है परंतु हाल के वर्षों में यहां नहरें और नलकूपों द्वारा सिंचाई अधिक लोकप्रिय हो रही है। अध्ययन क्षेत्र में नहरों की संख्या भले ही कम है लेकिन इनके द्वारा सिंचित क्षेत्र प्रतिशत (56.16) सबसे अधिक है। सरकार द्वारा अध्ययन क्षेत्र में किसानों को नलकूप संचालन हेतु सस्ते दामों पर एवं समुचित मात्रा में बिजली, पेट्रोल, डीजल की उपलब्धि कराकर कृषि भूमि उपयोग प्रतिरूप में परिवर्तन लाया जा सकता है। फसलों के निराक्षेत्रफल प्रतिशत में वृद्धि की जा सकती  है।इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध तालाबों एवं बांधों का पांच - छह वर्षों के नियमित अन्तराल पर गहरीकरण करवाना आवश्यक है। इससे सिंचित क्षेत्र प्रतिशत में वृद्धि किया जा सकता है।

शब्द कुंजी- अकृषिभूमि, वन, पड़ती, निराक्षेत्र सिंचाई।