• April to June 2025 Article ID: NSS9238 Impact Factor:8.05 Cite Score:255 Download: 21 DOI: https://doi.org/ View PDf

    बलिया जिले की महिलाओं में स्वास्थ्य सेवाओं की समयबद्धता और प्रभावशीलता का अध्ययन

      डॉ. तृप्ति तिवारी
        सहायक प्राध्यापक (गृह विज्ञान) जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया (उ.प्र.)

शोध सारांश - स्वास्थ्य किसी भी समाज के विकास का प्रमुख आधार है और महिलाओं का स्वास्थ्य तो परिवार तथा समाज दोनों की समग्र प्रगति से सीधा जुड़ा हुआ है। भारत जैसे विकासशील देश में महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण और समय पर स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना आज भी एक बड़ी चुनौती है। महिलाओं की विशेष आवश्यकताओं - जैसे प्रजनन स्वास्थ्य, प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल, बाल स्वास्थ्य और पोषण संबंधी सेवाएँ - समयबद्ध और प्रभावी ढंग से उपलब्ध न होने पर मातृ मृत्यु दर (MMR) तथा शिशु मृत्यु दर (IMR) में वृद्धि देखी जाती है।

प्रस्तुत शोध का उद्देश्य महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की समयबद्धता (Timeliness) और प्रभावशीलता (Effectiveness) का आकलन करना तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की तुलना करना था। इसके लिए 18-49 वर्ष आयु वर्ग की 300 महिलाओं पर सर्वेक्षण किया गया, जिनमें से 150 ग्रामीण एवं 150 शहरी क्षेत्र से थीं। डेटा संग्रह हेतु संरचित प्रश्नावली, व्यक्तिगत साक्षात्कार एवं फोकस ग्रुप चर्चा (FGD) का प्रयोग किया गया। विश्लेषण के लिए प्रतिशत, तुलनात्मक तालिकाएँ तथा गुणात्मक विवेचन का प्रयोग किया गया।

परिणामों से स्पष्ट हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की समयबद्धता शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी कमजोर है। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्र की केवल 48 प्रतिशत महिलाओं को समय पर प्रसव पूर्व जांच (ANC) मिल पाई जबकि शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत 72% था। आपातकालीन परिस्थितियों में एम्बुलेंस सेवा की उपलब्धता शहरी क्षेत्रों में 65%रही, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 38 प्रतिशत महिलाओं को समय पर यह सुविधा मिली।

प्रभावशीलता के संदर्भ में भी स्पष्ट असमानता देखी गई। ग्रामीण क्षेत्र की 41 प्रतिशत महिलाओं ने दी गई स्वास्थ्य सेवाओं से पूर्ण संतोष व्यक्त किया, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत 68 प्रतिशत था। दवा एवं जाँच की उपलब्धता, स्वास्थ्य कर्मियों का व्यवहार तथा स्वास्थ्य शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम शहरी क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से अधिक प्रभावी पाए गए।

सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा स्तर और जागरूकता का स्वास्थ्य सेवाओं के उपयोग पर प्रत्यक्ष प्रभाव देखा गया। उच्च शिक्षा प्राप्त और मध्यम उच्च आय वर्ग की महिलाओं में सेवाओं की समयबद्धता एवं प्रभावशीलता का अनुभव अपेक्षाकृत बेहतर था।

शोध से यह भी स्पष्ट हुआ कि सरकारी योजनाएँ - जैसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना और आयुष्मान भारत - तभी सफल हो सकती हैं जब उनकी सेवाएँ समय पर और प्रभावी ढंग से अंतिम पंक्ति की महिला तक पहुँचें।

निष्कर्षतः, महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु केवल सेवाएँ उपलब्ध कराना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी समयबद्धता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। ग्रामीण स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करना, आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना, महिलाओं में स्वास्थ्य शिक्षा एवं जागरूकता का प्रसार करना और तकनीक (टेलीमेडिसिन, ई-हेल्थ) का उपयोग बढ़ाना इस दिशा में अत्यंत उपयोगी होगा।

यह शोध नीति-निर्माताओं और योजनाकारों को इस बात की ओर ध्यान दिलाता है कि महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार समाज के संपूर्ण स्वास्थ्य स्तर को ऊँचाई तक ले जा सकता है और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में योगदान दे सकता है।