• July to September 2025 Article ID: NSS9263 Impact Factor:8.05 Cite Score:1140 Download: 45 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9263 View PDf

    शरद मिश्र के काव्य में शिल्प के प्रतिमान

      अभिषेक एड़े
        शोधार्थी (हिन्दी) रानीदुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)
      डाँ. नीना उपाध्याय
        प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी) माँनकुवर बाई शासकीय कला एवं वाणिज्य महिला महाविद्यालय जबलपुर (म.प्र.)

शोध सारांश- शरद मिश्र समकालीन हिंदी कविता के उन प्रमुख कवियों में हैं, जिन्होंने न केवल मानवीय संवेदनाओं को स्वर दिया, बल्कि काव्य-शिल्प की दृष्टि से भी नव्यता के प्रतिमान स्थापित किए। उनका काव्य पारंपरिक शिल्प से आगे बढ़ते हुए एक नवीन काव्यभाषा, प्रतीक योजना, बिंब विधान तथा संरचना के स्तर पर मौलिकता का संकेत देता है। शरद मिश्र उच्च शिक्षा विभाग से सेवानिवृत हिन्दीं विषय के प्राध्यापक है, उन्होंने कविताएँ , गीत, काव्यपत्र, हिन्दी ग़ज़लें, बुन्देली ग़ज़ले लिखकर विपुल साहित्यए की सर्जना तो की ही है, साथ ही संस्कृत के महाकवि बाणभट्ट एवं कालीदास के साहित्य का हिन्दी भाषा में 24 मात्राओं के छंद में काव्यानुवाद करके नया कीर्तिमान रचा है। अब तक शरद मिश्र की 400 से अधिक किताबें नये कलेवर में 23 खंड़ों में डाँ प्रणय के संपादन में प्रकाशित हो चुकी है। वर्तमान में भी उनकी लेखनी निरंतर चल रही है।  इस शोध पत्र में शरद मिश्र की कविताओं के शिल्पगत पक्षों का गहन विश्लेषण किया गया है, जिसमें उनके प्रयोगधर्मी रचनात्मक दृष्टिकोण, भाषा की लयात्मकता, संरचनात्मक विविधता तथा अभिव्यक्ति के नये आयामों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। यह अध्ययन स्पष्ट करेगा कि शरद मिश्र की काव्य-रचना में शिल्प केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं, बल्कि संवेदना के सार्थक अन्वेषण का उपकरण भी है। साथ ही यह अध्ययन उनके काव्य में शिल्प, अर्थ और अनुभूति का समुचित समन्वय की पड़ताल भी करेगा, जो उन्हें समकालीन हिंदी कविता के शिल्प विधान में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।